गोत्रों व् कुलदेवियों का विवरण
धर्मसीजी के काल के पूर्व तक तो समाज की गोत्र व्यवस्था व्यवस्थित रुप से चल रही थीं, पर समाज में अशिक्षा के कारण अनेक कुरीतियाँ प्रवेश कर गई। धर्मसीजी ने स्व खर्च से समाज का एक सम्मेलन बुलाकर उन कुप्रथाओं को दूर करने का प्रयत्न किया। साथ ही उन्होंने अनुभव किया कि मात्र 9 गौत्रों के कारण वैवाहिक कार्यों में कठिनाइयाँ आ रही हैं। अतएव इसी सम्मेलन में सबकी सम्मति तथा सुगमता की दृष्टि से 9 गोत्रों को 84 खाँपों (अल्ल या अवटंक) में विभाजित कर दिया। वह शुभ दिन अक्षय तृतीया संवत 759 बुधवार था।
श्री धर्मसीजी द्वारा स्थापित गोत्रों का विवरण
क्रम - गोत्र - अल्लखाँप अथवा प्रचलित गोत्र
1 अत्रि - साकरिया, मण्डोरा, मथरिया, मोदेसरा, भोजाल, भीनमाला, कोटडिया, नथमल, कथीरिया, भाटी
2 कश्यप - काला, भजूड, बूचा, कठडिया, सोलंकी, कुंभलमेरा, पालडीवाल, लखपाल, पालीवाल
3 कौशिक- छापरवाल, बेडचा, चौहाण, पवार, गहलोत, सिंघल, नाथडा, हथेलिया, कटारिया, आमलिया
4 गौतम - बाडमेरा, लाडनवाल, धांधल, झोडोलिया, हाडा, लोलग, आसोपा, खेजडिया, पणधारी
5 पाराशर - महेचा, चित्रोडा, श्रीश्रीमाल, भोगल, मणिहार, चोवटिया, छ्तराला,
तांबेडा, पोमल
6 भारद्वाज - कट्टा, जालोरा, जोजावरा, परमार, देवल, मंडलीवाल, गोयल, रायपाल, मंडलिक, मूथा
7 वत्सस - हेडाउ, राठोड, वीसा, रुपसी, रुहाडा, बडगाँवा, दिया, बीजाणी, रतनपुरा, रमीणा
8 वशिष्ठ - जसमतिया, डुंगरवाल, लायचा, गढेचा, ईडरिया, भूपाल, भागीजा, बरतडा, लोरका
9 हरितस - खटोर, राडा, मेवाडा, ईया, सरवाडिया, नूनेचा, बुधमाटी, आमथलिया
साभार श्री ब्राह्मण स्वर्णकार दर्पण जोधपुर (राज. )
ब्राह्मण स्वर्णकार गोत्रों व् कुलदेवियों का विवरण